7 MAR 2017 AT 1:30

ज़िन्दगी की लहरों में छटपटाते हम..

वो एक सांस की चाह में तड़प रहे।

वो ना रह गयी अब कागज़ की नाव..

वो ना वक़्त रहा वो ना हम ही रहे ।।

- आभास