अरसे बाद वो कलम उठी..वक़्त की मिट्टी में जो..कहीं दफ़न सी हो गयी थी।।अरसे बाद वो स्याही भरी..ज़िन्दगी की धूप में जो..कहीं सूख सी गयी थी।अरसे बाद वो पन्ने सहेजे..किताबों के बोझ में जो..कहीं सिकुड़ से गये थे।अरसे बाद वो ललक उठी..शर्म की चादर ओढ़ जो..कहीं सोई सी रह गयी थी।अरसे बाद वो शब्द लिखे..बातों के जंजाल में जो..कहीं ग़ुम से गये थे।अरसे बाद पूरी वो कविता हुई..दुनिया से डर के जो..कहीं अधूरी सी रह गयी थी। -
अरसे बाद वो कलम उठी..वक़्त की मिट्टी में जो..कहीं दफ़न सी हो गयी थी।।अरसे बाद वो स्याही भरी..ज़िन्दगी की धूप में जो..कहीं सूख सी गयी थी।अरसे बाद वो पन्ने सहेजे..किताबों के बोझ में जो..कहीं सिकुड़ से गये थे।अरसे बाद वो ललक उठी..शर्म की चादर ओढ़ जो..कहीं सोई सी रह गयी थी।अरसे बाद वो शब्द लिखे..बातों के जंजाल में जो..कहीं ग़ुम से गये थे।अरसे बाद पूरी वो कविता हुई..दुनिया से डर के जो..कहीं अधूरी सी रह गयी थी।
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ज़ेहन में उतरी हैं यादें,दबे पाँव और शर्माते ।गए पलों के गीत सुना,आँसू देतीं जाते जाते ।।उन यादों के ही फ़साने हैं,अब वापिस थोड़े न आने हैं।इस आज की इज़्ज़त करना तुम,कल ये भी याद बन जाने हैं।। -
ज़ेहन में उतरी हैं यादें,दबे पाँव और शर्माते ।गए पलों के गीत सुना,आँसू देतीं जाते जाते ।।उन यादों के ही फ़साने हैं,अब वापिस थोड़े न आने हैं।इस आज की इज़्ज़त करना तुम,कल ये भी याद बन जाने हैं।।
इस बुरे वक्त के लम्हों में..उधार की मुस्कान ही दे दो जरा , आज छत तो नहीं है मुझपे..सर छिपाने को आसमान ही दे दो जरा ।।इससे पहले की हताश हो जाऊँ..आगे बढ़ने को एक अरमान दे दो जरा , आज गिरा तो हूँ पर कल फिर उठ पाऊँ..इन काँपती बाजुओं में वो जान दे दो जरा ।। -
इस बुरे वक्त के लम्हों में..उधार की मुस्कान ही दे दो जरा , आज छत तो नहीं है मुझपे..सर छिपाने को आसमान ही दे दो जरा ।।इससे पहले की हताश हो जाऊँ..आगे बढ़ने को एक अरमान दे दो जरा , आज गिरा तो हूँ पर कल फिर उठ पाऊँ..इन काँपती बाजुओं में वो जान दे दो जरा ।।
खुश हूँ ,क्योंकि बेताब हूँ ।आज अँधेरा है , क्योंकि अभी डूबा आफ़ताब हूँ ।।ज़िन्दगी की जद्दोज़हद में ,उफनता एक आब हूँ ।चंद कदम दूर बस है जो सच से ,आँखों मे मचलता वो ख़्वाब हूँ।। -
खुश हूँ ,क्योंकि बेताब हूँ ।आज अँधेरा है , क्योंकि अभी डूबा आफ़ताब हूँ ।।ज़िन्दगी की जद्दोज़हद में ,उफनता एक आब हूँ ।चंद कदम दूर बस है जो सच से ,आँखों मे मचलता वो ख़्वाब हूँ।।
लाल खून सा रिश्ता ,नीले पानी सा निर्मल , हरे पत्तों सा ठंडा , भूरी मिट्टी सा सौंधा , सफेद चाँद सा साथी , पीले सूरज सा सख्त , दोस्ती वो होली है..हर दिन जो भिगाये कम्बख़्त । -
लाल खून सा रिश्ता ,नीले पानी सा निर्मल , हरे पत्तों सा ठंडा , भूरी मिट्टी सा सौंधा , सफेद चाँद सा साथी , पीले सूरज सा सख्त , दोस्ती वो होली है..हर दिन जो भिगाये कम्बख़्त ।
"Bhai Hindi me hi likh diya kr..khud bhi mehnat se bachega..hume bhi bachayega" -
"Bhai Hindi me hi likh diya kr..khud bhi mehnat se bachega..hume bhi bachayega"
सृजन - पालन - मोक्षम -
सृजन - पालन - मोक्षम
कभी दूरियाँ थीं पर दिल मिले थे..घरवालों की छांव में..मिटते गिले थे ।आज सुबह बदल गयी..Whatsapp के Good Morning में..खुशियाँ बदल गईं..Likes और Nice Pics Darling में । -
कभी दूरियाँ थीं पर दिल मिले थे..घरवालों की छांव में..मिटते गिले थे ।आज सुबह बदल गयी..Whatsapp के Good Morning में..खुशियाँ बदल गईं..Likes और Nice Pics Darling में ।
गिर के उठाती..सिखाती..बनाती..ये ज़िन्दगी तो अलग ही..अनूठी निकली.. -
गिर के उठाती..सिखाती..बनाती..ये ज़िन्दगी तो अलग ही..अनूठी निकली..
Johnson's baby powder,thanks to my little angel. -
Johnson's baby powder,thanks to my little angel.