ना दे पाया तुमको मन का सुख
कैसें आऊँ मैं सम्मुख ,
लाख क़ोशिशें करता लेकिन
रहता हूँ मौन तेरे आमुख ॥
यह मान मेरे दिल में है तू
सारे अरमान दिनों में तू ,
तू है तो जीवन में उमंग
तू नहीं तो ना कोई राग रंग ॥
यह समय पुनर्मिलन का है
लेकिन तन है कोषों दूर दूर ,
मेरे मन में बस तू ही तू
तेरी कमी है चूर चूर ॥
यह मान तू है तो ही मैं हूँ
नहीं तो बस एक पतझड़ मैं हूँ ,
तू है तो सावन भी है रोज़
तू नहीं तो मैं एक पत्थर् हूँ ॥
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