Amita Jain  
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Here to express not impress!
Joined 21 November 2016


Here to express not impress!
Joined 21 November 2016
14 NOV 2018 AT 22:12

खेल - खेल में दोस्ती होती थी,
खेल - खेल में होते थे झगड़े,
सुबह मां की पुकार से होती थी,
और रात पापा के दुलार से,
दादी सुनाती थी अनगिनत कहानियाँ,
और बीच में नींद की झपकियाँ मार जाती थी,
दादाजी की सिखायी बातें ही,
जीवन के पाठ पढ़ाती थी।
एक खिलौने मिलने का दुःख था तो,
दूसरे खिलौने मिलने की खुशी होती थी।
छोटी - छोटी चीजों में ही ज़िन्दगी बसी होती थी।
पैसा, कामयाबी, जलन, मोह - माया,
इन लब्ज़ों की कमी सी होती थी।
मासूमियत, प्यार, आदर, अपनापन,
इनमे लब्जों में ही ज़िन्दगी बसी सी होती थी।
सोचा नहीं जाता था, तब सिर्फ किया जाता था,
दिल-दिमाग एक साथ रखकर,
हर कठिनाई को जीत लिया जाता था।
सीधी सी ज़िन्दगी को हम यूँही मुश्किल बनाते गए,
बड़े होकर हम खुद को उलझाते गए,
पलट कर वहां जाना भी चाहे तो भी ना पहुँच पाए,
है ये ज़िन्दगी रेत की तरह,
फिसल जाए तो पकड़ ना आये।

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17 OCT 2018 AT 22:31

हर एक अँधेरी रात के बात सवेरा होता है।
अगर ज़िन्दगी में सभी चीज़े अपनी चाहत के अनुसार चलती रहें,
तो ज़िन्दगी व्यर्थ लगेगी।
हर एक इंसान अगर अच्छा व्यवहार करने लगेगा,
तो रिश्ते निभाना कठिन हो जाएगा?
अगर ज़िन्दगी में मुसीबतें ना आएँ , तो सीखा कैसे जायेगा?
अगर लोगों से दुःख न मिले, तो सच्चे रिश्तों को परखा कैसे जायेगा? तो बस ज़िन्दगी जीते जाओ, अनुभव लेते जाओ।
हर इंसान में कुछ अच्छा सिखने का होता है, वो सीखते जाओ। बुराइयों को कभी ना देखो, और आगे बढ़ते जाओ।
जीना इसी का नाम है, हँसते- हँसाते- मुस्कुराते जीते जाओ।

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17 SEP 2017 AT 0:59

Society taught me to shut my mouth and cry,
And my parents taught me to Open my wings and fly.
I chose my parents because they chose me.

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10 AUG 2017 AT 21:13

She : Why you always come back to me?
He : Because I want to see the climax of your life-story.

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8 JUL 2017 AT 17:52

A letter to myself,

So you are getting one more year old tomorrow. One more number to add in your age count. But age is just a number , you are getting one more year of experience from school of life. Lets celebrate the past and upcoming year.

Happy Birthday

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5 JUL 2017 AT 21:11

हर वक़्त का हिसाब मांगता है कोई,
शाम ढल जाने के बाद याद आता है कोई,
क्या दिन काट रहे हो या,
या फिर दिल से जी रहे हो,
इन सवालों के जवाब चाहता है कोई।

है कोई तमन्ना जो पूरी न हो पाई,
या कोई आरज़ू जो, अब अधूरी न रही,
है कितने सपने, जो अब पूरे हो रहे है,
कौन है वो लोग पराये, जो अपने हो रहे है,
इन सवालों के जवाब चाहता है कोई।

किस्से, यादें, कहानियाँ या शायरी,
आज क्या सुनेगी ये डायरी,
है कोई जो सब कहना चाहता है,
कागज़ और कलम ही साथी है इसके,
सारे सवालों के जवाब दिल देता है यहीं ।



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3 JUL 2017 AT 21:41

He (a father) always used to say, 'Why don't you take a stand for yourself?'

Now they (society) say, ' Why you always debate on everything?' You should behave like a girl.


At the end, A father won and Society lost.

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3 JUL 2017 AT 21:27

While standing in a trial room's queue,
A mother-daughter made me realize,
Those days are gone,
When mom used to shop for me,
Now it's time for me,
To stand and comment on her looks.

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28 MAY 2017 AT 18:36

बचपन में एक सपना देखा,
इस शहर में कभी तो जाना है,
जो टीवी पर देखा है अब तक,
उसको अपनी आंखों में सजाना है।

उन सागर की लहरों में ,
जाने कितनी सांसें थमती होगी,
उन बारिश की बूंदों में ,
जाने कितनी बस्तियां डूबती होगी।

जब मिला मौका तो कदम बढ़ाएं,
समझ नही आया कैसे इस भीड़ को अपनाया जाएं,
एक लोकल देखी जिसमे लाखों ज़िंदगियाँ चलती है,
रुकता नही वक़्त यहाँ, सांसे भी थम जाएं तो

ये मुम्बई है मेरी जान,
उस शहर में रफ्तार है।
दिन-रात होता नही यहां ,
यही तो चमत्कार है।

अपना लेता है ये शहर सबको,
यही तो इसकी पहचान है।
जो रुक गया उसकी कदर नहीं,
जो दौड़ चला उसी की वाह-वाहकार है।

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21 APR 2017 AT 21:26

सोचती हूँ आज क्या लिखूँ,
बीते हुए कल की बातें लिखूँ,
या फिर आने वाले कल की सौगातें लिखूँ।

देश-राजनीती पर बहस के बारे में लिखूँ,
या फिर किसी किसान की जीवन की कहानी के बारे में लिखूँ,
सोचती हूँ आज क्या लिखूँ।

समाज में फैली कुरीतियों पर अपने विचार लिखूँ,
या फिर आ रहे सकारात्मक परिवर्तन पर कुछ लिखूँ,
सोचती हूँ आज क्या लिखूँ।

बंद कमरे में आ रही रोशनी में लिखूँ,
या फिर समंदर की गहराई में डुबते हुए लिखूँ,
सोचती हूँ आज क्या लिखूँ।

ये ही सोचते-सोचते जो समय बीत गया उस पर लिखूँ,
या फिर जो वक़्त हाथ में उसमें ही कुछ लिखूँ,
सोच ही लिया आज क्या लिखूँ।

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