साला, बचपन में पेपर-प्लेन खेलते वक्त आसमां छूने
की तमन्ना रखने वाले मेरेे सपने कब Geometry के
Plane XYZ में कैद हो गये पता ही ना चला।
अब कागज़ तो है लेकिन प्लेन नहीं बना पाता मैं ;
जुनून तो आज भी है लेकिन सपनों के लिए हिम्मत ना रहीं मुझ में ;
"क्या कहेंगे लोग?"
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