नहीं करता अब मन तुमसे मिलने का,न ही तुम्हारी मिश्री में घुली आवाज़ सुन ने का,न ही देखते हैं तुम्हारी फ़ोटो रोज़ बदलते हुए,न करता है दिल तुम्हे रोकें देखें तुम्हें जाते हुए।अब तो बस यादें हैं,भूली बिसरी,पुरानी सी,नन्ही बातें हैं। - अभिन्न
नहीं करता अब मन तुमसे मिलने का,न ही तुम्हारी मिश्री में घुली आवाज़ सुन ने का,न ही देखते हैं तुम्हारी फ़ोटो रोज़ बदलते हुए,न करता है दिल तुम्हे रोकें देखें तुम्हें जाते हुए।अब तो बस यादें हैं,भूली बिसरी,पुरानी सी,नन्ही बातें हैं।
- अभिन्न