आज फिर उनका खत आया है,
और कई पुराने खतों कि याद लाया है|
पर ख्याल ये नहीं,
कि ये खत क्या लाया है,
ख्याल तो ये है ,
कि ये क्यों आया है?
कि कुछ वक़्त लगा हमे,
पुराने खत जलाने मे|
कि आदत सि होगयी थी ,
खत कि राह देखना |
फिर कुछ वक़्त लगा हमे ,
उस आदत को मिटाने मे|
अब ये जो खत आया है,
ये शायद उनकी आदत है|
तो अब ये मेरा खत उनको बतलायें ,
कि अब ये मेरी आदत नहीं|
बताये कि इस कदर ,
लहर सा आके चला जाना,
कुछ कठिन सा है |
कि जली हुई जो खतें है,
वो अब सिर्फ राख है और हमारी यादें नहीं |
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