ताश के पत्तों से तुम,हर क़िरदार में खूब,कुछ जालसाज़ी,कुछ नज़र का धोखा,एक छलावा तेरा,एक तिलिस्म उसका।हाँ, वाक़ई..खेल है ज़िन्दगी,तेरी,मेरी,मगर..उस ख़ुदा के हाथों में,ज़िन्दगी है,जादूगरी। - ©Abhilekh
ताश के पत्तों से तुम,हर क़िरदार में खूब,कुछ जालसाज़ी,कुछ नज़र का धोखा,एक छलावा तेरा,एक तिलिस्म उसका।हाँ, वाक़ई..खेल है ज़िन्दगी,तेरी,मेरी,मगर..उस ख़ुदा के हाथों में,ज़िन्दगी है,जादूगरी।
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