25 DEC 2016 AT 8:59

ताश के पत्तों से तुम,
हर क़िरदार में खूब,
कुछ जालसाज़ी,
कुछ नज़र का धोखा,
एक छलावा तेरा,
एक तिलिस्म उसका।
हाँ, वाक़ई..
खेल है ज़िन्दगी,
तेरी,
मेरी,
मगर..
उस ख़ुदा के हाथों में,
ज़िन्दगी है,
जादूगरी।

- ©Abhilekh