16 FEB 2017 AT 13:51

जिनका काम कभी आदर्श के लिए जाना जाता रहा हो, आज धंधा बन चुका है. वे जीवनमूल्य की बात करें. ये सही कैसे हो सकता है.

- अभिजीत जनार्दन