फिर गिराएंगे लोग अपनाकर, बाज़ ना आएंगे दगा देकर. तुम ना कोई नयी कहानी रचो, लोग जाएंगे दिल को बहलाकर. कुछ नहीं कहना उन लतर से मुझे, जो खिले आज, हमें मुरझाकर. रही उम्मीद, बचे ख़्वाब, आशिकी थोड़ी; दीये की रौशनी, बारिश; वो रंगो-आब होली! किसके वादे इरादे बदले हैं, छोड़ो भी क्या फकत वफा करतें.. घुटन के दिन, तड़प की रात सभी- जिंदगी! हम चलें सदा देकर. 🙏
पिता ने परवरिश में बेजां ईमानदारी थोप दी, मां ने दुश्मनों से भी गले मिलना सिखा दिया. शहर की धूप-धूल फांक रहा मैं सोचता हूं, ईमानदारी, प्यार से आखिर हासिल क्या किया? ❤️
इश्क़ में हादसे जरूरी थे, ये ना मिलते तो जज्बे आते नहीं; हम अपने आप को यूं भाते नहीं. खामोशी ओढ़कर हर गम पर मुस्कराते नहीं! घुटती सांसों को लिए देर तक जी पाते नहीं. जो हमें नाज़ से भर देते कल के अरमां सब, वो मुझे सरेआम ख्वाब में ठुकराते नहीं. हम नज़र भर उम्मीदों को तकते रहे, चांद था, रात थी; ख़्वाब का था असर! #ishq
क्या है अपने पास? सिहरता मन, उखड़ती सांस! जीवन संघर्ष, आस-विश्वास. मुश्किल बीत रहे थें कम, तभी मिलता तपाक् से गम. फिर हारा मोह जाल में सर्व, नहीं छूटा ह्रदयादिक गर्व! मगर सब दांव लगाकर देखा, नहीं अंतस प्रवास की रेखा. जमीं का सुनता रहा उच्छवास, बड़ा था एकाकी आकाश. वो जिसके जीवन में बस हर्ष, जिसका बना रहा उत्कर्ष. नहीं ऐसा ना कभी हुआ, कि जीव ने दुख को नहीं छुआ! #literature
मुझे लगा था, साथ भले ना दे मेरी परछाई; मुश्किल में तो साथ रहेंगे अपने भाई! पर अहा! कसक ये साल रही मन को मेरे, सब मौकापरस्ती देख रहा उनके बहुतेरे. बचपने जो मेरा मन बहलाने को हारा करता, अब मुझको हराने के मनसूबे दिल में पाल रहा. मां बाप के नक्श देख चुप हो जाता हूं, मन में दबा लेता हूँ सब; कुछ बोल नहीं पाता हूँ! #भाई
मन मटमैला, ख़्वाब सुनहरा; दिल पर पहरा किसका है! कोई मुझको नाम बताये, प्यार ना जिसका बिसरा है. आंखें शबनम बनकर बरसीं निशा जली उडुगन जैसी! सारी उमर वो पास रहा पर एक पल को विरहा तरसी. जब ये सांसें उखड़ रही होंगी मेरी सब गुम होगा, एक तमन्ना रह जाएगी, अब कौन मिलेगा फिर तुम सा! #ishq