दे के दर्द-ए-दिल हमें, मरहम थमाना खूब है
दिल लगा के हमसे तेरा, दिल जलाना खूब है ।
खूब है तेरी अदा, देख के न देखना
मुस्कुरा के क़त्ल करना, भी तेरा क्या खूब है ।
है नशा छाया हुआ हम पे तो तेरा इस कदर
हर तरफ इक तेरा चेहरा दिखता हमें भी खूब है ।
ऐसा लगता है तू मेरे साथ मेरे भीतर है
बिन तेरे यूँ तुझको जीने कि सज़ा भी खूब है ।
मरना होता जो हमें तो मर ही जाते उस दिन मगर
मर-मर के जीना और फिर मरने का सफ़र भी खूब है ।
©अभिजीत
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