Abhijeet Sahu   (©अभिजीत)
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अगली किताब के बारे में पूछने वालों पहले पहली के बारे में तो कुछ कहो।

#कुछ_तुम्हारे_लिए
Joined 7 December 2016


अगली किताब के बारे में पूछने वालों पहले पहली के बारे में तो कुछ कहो।

#कुछ_तुम्हारे_लिए
Joined 7 December 2016
13 JUL 2021 AT 22:30

दाल-रोटी के बीच फसा कवि
कसमसा कर जब उठाता है कलम
तो सबसे पहले लिखता है बनिये का हिसाब
चलता चला आ रहा है जो
कविता के जन्म के पहले से,
जो आज भी बाकी है ।
© अभिजीत

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31 DEC 2020 AT 23:57

कुछ यूं तू याद है मुझको
जैसे साल का पहला दिन
थामा हो हाथ
पकड़ी हो कलाई
दबाई हो कोई नस
एक ही पल में सिहर उठा हो बदन
सुर्ख हुए हो गाल
तेज हुई हो सांसे
बातें की हो आंखों ने
सब कुछ रूमानी सा
उफ्फ वो भी क्या साल था जो बिता गया एक ही दिन में ।
© अभिजीत




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9 OCT 2020 AT 11:39

मुझसे ना पूछ सबब, हाल-ए-दिल, मोहब्बत का असर
जवाब एक हैं सबके कि कुछ दुरुस्त नहीं

©अभिजीत

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22 SEP 2020 AT 13:23

मरना हो जिनको मर मिटे वो वतन की राह में
सनम के आह पे मरना कोई मरना नहीं हुआ...
© अभिजीत

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7 SEP 2020 AT 22:34

सोचो, समझो पर यूँ शरमाया ना करो
इतनी जल्दी सारे राज बताया ना करो

माना कि इशारा है समझेगा ना कोई और
अरमाँ पर दिल के यूँ तुम जगाया ना करो

दिखाए हैं उसने ख़्वाब जो उसी में रहने दे मुझे
काट कर चिकोटी हकीकत दिखाया ना करो

पीना नहीं है बात बुरी पीते है सब यहाँ
थोड़ी सी में बस अपने होश गवायाँ ना करो

आँखों की क्या हो बात यहाँ सबसे नशीले वो
साकी मगर अब यूँ मुझे तड़पाया ना करो

चलो मैं मान लेता हूँ यही दिन सारे अच्छे हैं
रातें मगर तुम यूँ मुझे बुरी दिखाया ना करो

डरता हूँ जाने क्या हो इस कहानी का अंजाम
चाँदनी रात में मेरे महबूब छत पे आया ना करो

चाहते हो क्या मर जाए हम देख कर तुझको
बालों में यूँ गुलाब अब लगाया ना करो

हो जाएगा मशहूर ये किस्सा भी इक रोज
ख़ुदा के वास्ते तब तलक नाम बताया ना करो...

© अभिजीत

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31 AUG 2020 AT 21:39

धुआँ नहीं कहीं
ना है राख का नाम- औ'- निशाँ
पर जल रहा है
या तो आसमाँ
या तो मैं
या तो तुम
पर सवाल यह है
हम तीनों एक साथ कब जलेंगे

© अभिजीत

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30 AUG 2020 AT 22:41

मेरीमधुशाला:-26

नींद छिन कर आँखों से,
इठलाती साकी बाला ।

दिखा कर सपने बड़े -बड़े
तरसाता देखो प्याला ।
बरसो में जो पाया जीवन
पल में मदिरा ने छीन लिया ।

लेकर आहुति मेरी देखो
प्रज्वलित होती मधुशाला ।

© अभिजीत

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3 AUG 2020 AT 22:22

जब कुछ नहीं था
तब भी था हमारे बीच बहुत कुछ
अब सब कुछ है तो ना जाने
कहाँ गुम गया है हमारे बीच का प्यार...

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3 AUG 2020 AT 15:00

निकली थी बहोत दूर तक जाने के वास्ते
आवाज मेरी सीने में दब के रह गई ।

© अभिजीत

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6 MAY 2020 AT 11:29

दे के दर्द-ए-दिल हमें, मरहम थमाना खूब है
दिल लगा के हमसे तेरा, दिल जलाना खूब है ।

खूब है तेरी अदा, देख के न देखना
मुस्कुरा के क़त्ल करना, भी तेरा क्या खूब है ।

है नशा छाया हुआ हम पे तो तेरा इस कदर
हर तरफ इक तेरा चेहरा दिखता हमें भी खूब है ।

ऐसा लगता है तू मेरे साथ मेरे भीतर है
बिन तेरे यूँ तुझको जीने कि सज़ा भी खूब है ।

मरना होता जो हमें तो मर ही जाते उस दिन मगर
मर-मर के जीना और फिर मरने का सफ़र भी खूब है ।

©अभिजीत

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